भारतीय संविधान में मुण्डारी भाषा को शामिल

 भारतीय संविधान में मुण्डारी भाषा को शामिल करने के लिए क्या किया जाए ? 

मुण्डारी भाषा, जो मुण्डा जनजाति की पहचान और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक नही है । इस लेख में , है इस बात पर चर्चा करेंगे कि मुण्डारी भाषा को आठवी अनुसूची में सामिल करने के लिए किन कदमों की आवश्यक और आई दिशा में क्या प्रयास किए जा सकते हैं ।


                 मुण्डारी भाषा का महत्व





मुण्डारी भाषा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ राज्यों में मुण्डा जनजाति द्वारा बोली जाती है ।  यह भाषा मुण्डा समुदाय की संस्कृति धरोहर और उनकी पहचान का प्रतीक है । इसके बावजूद, यह भाषा अभी तक भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त नहीं है । भारतीय संविधान की आठवी अनुशुचि में 22 भाषाएं शामिल है,जो देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाती है । मुण्डारी भाषा को इसमें शामिल करना मुण्डा समुदाय की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को संरक्षित करने के लिए आवश्यक है ।


                    भारतीय संविधान की आठवी अनुसूची में भाषा शामिल करने की प्रक्रिया 



किसी भी भाषा को भारतीय संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र एंकर की सिफारिश आवश्यक होती है । इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है :

1. भाषाई सर्वेक्षण और अध्ययन  - यह एबिट करने के लिए कि मुण्डारी भाषा का एक व्यापक आधार है, एक विस्तृत भाषाई सर्वेक्षण और अध्ययन की आवश्यकता होती है। यह अध्ययन की सरकार को यह समझने में मदद करेगी कि  इस भाषा का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व कितना अधिक है।

2. संसदीय प्रस्ताव -  एक बार जब अध्ययन और सर्वेक्षण से संबंधित डाटा एकत्र कर लिया जाता है , तो इसे संसद में प्रस्ताव के रूप में पेश किया जाता है । यह प्रस्ताव आमतौर पर क्षेत्र के सांसदों या संबंधित क्षेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा पेश किया जाता है ।

3. जन समर्थन -  मुण्डारी भाषा को संविधान में शामिल करने के लिए जन समथन बहुत महत्वपूर्ण है । इसके लिए जन जागरूकता अभियान , याचिकाएं , और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है , जिसके अधिक से अधिक लोग इस अभियान में सामिल हो सकें।

4. सरकारी सिफारिश - संसद में प्रस्ताव पारित होने के बाद , इसे केंद्रीय सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाता है । यदी सरकार इसे स्वीकार करती है, तो इसे संविधान में शामिल किया जाता है ।


                  मुण्डारी भाषा के समाधान में क्या किया जा सकता है ?






1. शैक्षणिक संस्थानों में प्रचार - मुण्डारी भाषा को विद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना आवश्यक है । इससे

नए पीढ़ी के लोग अपनी भाषा से जुड़ेंगे और इसे बोलने और लिखने में सक्षम होंगे ।

2. डिजिटल मीडिया और साहित्य - मुण्डारी भाषा में अधिक से अधिक डिजिटल सामग्री , ब्लॉग, किताब और साहित्य प्रकाशित किए जाना चाहिए । इससे भाषा का प्रसार होगा और जागरूकता बढेगी ।

3. सरकारी समर्थन - स्थानीय और राज्य सरकारों द्वारा मुण्डारी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष योजनाएं चलाई जानी चाहिए । यह सरकारी दस्तावेजों , साइन बोर्ड और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर मुण्डारी भाषा का उपयोग बदने में सहायक होगा ।

4. सांस्कृतिक कार्यक्रम - मुण्डारी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति का आयोजन किया जाना चाहिए . इन कार्यक्रमों में लोक गीत , नृत्य और मुण्डा जनजाति की परंपराओं को प्रस्तुत किया जा सकता है ।


                                  निष्कर्ष


मुण्डारी भाषा को भारतीय संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करना न केवल मुण्डा समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा । यह कदम न केवल भाषा के संरक्षण के लिए आवश्यक है , बल्कि इससे समाज में विविधता और समृद्धि भी बनी रहेगी।

हमें मिलकर प्रयास करना होगा ताकि मुण्डारी भाषा को उसका उचित स्थान मिले और यह आने वाले पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे । इस देश में हम सभी की भागीदारी महत्वपूर्ण है ।


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जोअर,


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[नीरज मुण्डा]







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